technology

[Technology][bleft]

Health

[Healthcare][bleft]

Business

[Business][bleft]

Network Marketing

[Network Marketing][bleft]

Will the end of Pakistan end terrorism?

क्या पाकिस्तान ख़त्म होने से आतंकवाद ख़त्म होगा?


मित्रों, विगत कुछ दिन पूर्व पाकिस्तान की ख़त्म हो रही इकॉनमी की खबरें आ रही हैं, जो की १०० प्रतिशत सत्य हैं. 'दो टके की औकात...' जैसे मुहावरे हमारे देश तथा पाकिस्तान में काफी प्रचलित हैं, वह बांग्लादेशी एक टका भी पाकिस्तान के रुपये से सर चढ़कर बोलने लगा हैं.. जीडीपी वृद्धि दर में भी बांग्लादेश ने पाकिस्तान को काफी छोड़ दिया हैं. ऐसी परिस्थिति में भारत जैसे देश जो पाकिस्तानी दहशतगर्दी से पीड़ित हैं, उनमें यह बहस हो रही हैं की, कमजोर पाकिस्तान को ख़तम करने का तथा उसे ४ या ५ छोटे छोटे टुकड़े करने का यही सही मौका हैं.

वह लोग जो अपने राजनीतिक फायदे के लिए कभी पाकिस्तान का नाम भी अपनी होठों पे नहीं लाते थे, वह भी यह बोलने लगे हैं की, दहशतगर्दी को ख़त्म करने के लिए पाकिस्तान के टुकड़े करने का यही सही मौका हैं. पर क्या ये सच हैं? पाकिस्तान ख़त्म होने से आतंकवाद ख़त्म होगा? क्या पाकिस्तान ने आतंकवाद को पैदा किया हैं? या पाकिस्तान ही किसी आतंकी साज़िश के तहत पैदा हुवा हैं? इस बात पे बहस करना छोड़ पाकिस्तान मत्थे सारे पाप गढ़ने वाले यह लोग सत्य से कहीं अपनी आँखें तो नहीं फेर रहे हैं?


आइये दोस्तों, आनेवाले कुछ आर्टिकल्स में हम इसी मुद्दे पे चर्चा करते हैं और ये जानने की कोशिश करते हैं, की आतंकवाद का धर्म और किसी राष्ट्र से क्या वाकई  कुछ सम्बन्ध हैं? पर उससे पहले महाराष्ट्र के संघर्षशील नेता, विचारक और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के पोते प्रकाशजी आंबेडकर की एक ट्वीट देखते हैं, जो विगत कुछ दिन पूर्व उन्होंने की थी.
प्रकाशजी आंबेडकर जैसे नेताओं की माने तो सारा आतंकवाद पाकिस्तान ही फैला रहा हैं.पाकिस्तान ख़त्म तो दहशतगर्दी ख़त्म...? पर क्या ये सच हैं की, विश्व में हो रही दहशतगर्दी सिर्फ पाकिस्तान से जुडी हैं? आइये अब हम दहशतगर्दी की सच्चाई ढूंढने की कोशिश करते हैं. शुरुआत करते हैं, अफ़ग़ानिस्तान के बामियान की विश्वप्रसिद्ध बुद्धमूर्तियों को तोड़ने की शर्मनाक घटना से, जो कुछ वर्ष पूर्व घटित हुयी थी.


पाकिस्तान की अवैध औलाद तालिबान ने जब  अफ़ग़ानिस्तान पर कब्ज़ा किया और अपना शासन शुरू किया तब उन्होंने सैंकड़ो वर्षों की धरोहर रही बामियान की १७० और १५० फ़ीट ऊंची भगवान् बुद्ध की मूर्तियों को तबाह कर दिया. जिसकी पूरे विश्व में भर्त्सना हुयी..


तालिबान एक मध्य युग का इस्लामी शासन चाहते थे, जिसके लिए उन्होंने महिलाओं के मानवाधिकारों का हनन किया और  अपने ही भाइयों का कत्ले आम करने में भी हिचक नहीं दिखाई.  इसी इस्लामी राज्य में भला गौतम बुद्ध की मूर्तिया वह कैसे बर्दाश्त करेंगे? मूर्तिपूजा हराम हैं, यही उन्होंने सीखा था. तालिबान (और उसके आँका पाकिस्तान) के उद्देष्य कुछ छिपे हुए नहीं हैं. मगर इससे भी पूर्व कई मुस्लिम शासको ने इन मूर्तियों को तोड़ने की कोशिश की थी, जिनमे मुग़ल आक्रामक औरंगजेब भी शामिल था. औरंगजेब एक क्रूर तानाशाह था, उसने हिन्दुओं पे जिझिया टैक्स लागू कर दिया था तथा महाराष्ट्र के छ. संभाजी राजे को भी इस्लाम कबूल नहीं करने पर बड़ी निर्मम तरीके से उनकी हत्या की थी.

हैरत की बात ये हैं औरंगजेब आज भी भारत के कई मुसलमानो का हीरो हैं, जिसे वह वली समझते हैं. इस्लाम का राजनीतिकरण करनेवाला और पाकिस्तान (भारत को इस्लामी रियासत बनवाने) की प्रेरणा बनकर उभरे इस तानाशाह को हमारी तथाकथित सेक्युलर विचारधारा ने भी हीरो मान लिया हैं और ऐसे में (इस्लामिक राज्य की संकल्पना को) टक्कर देनेवाले छ. शिवाजी महाराज और छ. संभाजी महाराज की लड़ाई को २ धर्मों के बीच की लड़ाई बोलने वाले को आज गुनहगार समझा जाता हैं.


तो क्या औरंगजेब एक दहशतगर्द था? उसकी प्रेरणा से पाकिस्तान बना हैं?

जी हाँ, पाकिस्तान में शरिया कानून लाने में जिनका सबसे बड़ा हाथ रहा हैं वह मौलाना मौदूदी भी औरंगजेब को पाकिस्तान का असली निर्माण कर्ता बताते हैं. जिहाद के समर्थक रहे मौलाना मौदूदी यह भी मानते हैं की पाकिस्तान के अल्पसंख्य हिन्दू, बौद्ध और ख्रिश्चन समुदाय को भी जिझिया टैक्स देना चाहिए. इन्ही मौलाना को इस्लामिक जगत में सबसे ज्यादा पढ़ा जाता हैं.

तालिबान ने वही किया जो मौलाना मौदूदी ने लिखा हैं, और मौलाना मौदूदी की राजनीतिक पार्टी रहे जमात इ इस्लामी ने वही किया जिसकी अपेक्षा औरंगजेब  किया करता था. इससे सिद्ध होता हैं, की दहशतगर्दी की शुरुवात मुग़ल शासक रहे औरंगजेब या उससे पहले तैमूरलंग या उससे भी पहले आतंकवाद का अस्तित्व था. बिलकुल रहा होगा. दुर्भाग्यपूर्ण बात यह हैं की इसी औरंगजेब के आदर्श बताने वाली सेंकडो पुस्तके आज भी भारत में खुलेआम बिक रही हैं और हम दहशतगर्दी की जड़ पाकिस्तान को बताते हैं. सत्य से मुँह फेर लेने से सत्य नहीं बदलनेवाला...

चलो छोडो, आज के ज़माने की ही बात करते हैं. बामियान की बुद्ध मूर्तियां तोड़ने के बाद इस घटना के बारे में तथाकथित मुस्लिम स्कॉलर ज़ाकिर नाइक को पत्रकारों द्वारा प्रश्न पूछा गया तो उसने हमेशा की तरह गोल-गोल जबाब दिया; लेकिन अपने अंदर की सच्चाई नहीं छिपा सका. उसका कहना था की,

"बुद्ध धम्म के शास्त्रों में ऐसा कहीं लिखा नहीं हैं की भ. बुद्ध की मूर्तिया बनायीं जाए... तथा उन मूर्तियों की पूजा की जाए."

झाकिर नाइक ऐसे बोल रहा था की जैसे की तालिबानियों ने बुद्ध धम्म शास्त्र पढ़कर ही बुद्ध मूर्तियों को तोडा था. वह तो आगे जाकर ये भी बोलता हैं की,

"ये अफगान (तालिबान) सरकार का अंदरूनी फैसला हैं की वह मूर्तियां तोड़ी जाए या सुरक्षित रखे..."


जबकि तालिबान का पूरे अफगानिस्तान में शासन नहीं था या उसको दुनिया के 5 देश छोड़कर  किसी ने मान्यता भी नहीं दी थी. झाकिर जिस देश का वह नागरिक था, उस भारत ने भी तालिबान शासन को मान्यता नहीं दी थी... लेकिन अपने झूट के आड़ में हमेशा सत्य छिपाने वाले इस शख्स ने  इस शर्मनाक घटना की निंदा तक नहीं की, उल्टा गोल-मोल जवाब देकर वह इस घटना को सही ठहराने की कोशिश करता रहा.. गौर करें की ज़ाकिर नाइक पाकिस्तानी नागरिक नहीं हैं.  फिर भी भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और दुनियाभर में फैले कई लाख लोग ज़ाकिर नाइक को फॉलो करते हैं. ध्यान रहें की बांग्लादेश में पकडे गए कुछ आतंकवादियों के प्रेरणास्रोत भी ज़ाकिर नाइक रहे हैं. सच्चाई छिपाने की कोशिश में यह लोग इस बात को भी नहीं समझ रहे की रोहिंग्या मुसलामानों की समस्या शुरू होने में बामियान इस घटना का बढ़ चढ़कर किरदार रहा हैं.


९/११ के हमले के बाद अमरीका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने कहा था की या तो आप आतंकवाद को साथ हो या तो उसके विरुद्ध....! पाकिस्तानी नागरिक नहीं होने के बावजूद जाकिर नाइक किस बाजू में खड़ा हैं....? इसके जैसे दबे छुपे आतंकवाद का समर्थन करनेवाले हमारे और आपके आसपास काफी मिल जाएंगे... क्या इसपर कोई सोच, विचार कर रहा हैं? जिहाद का नशा सर चढ़ने के बाद आखिर पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री रहे नवाज़ शरीफ को भी यह कहना पड़ा की, अच्छा तालिबान, बुरा तालिबान नहीं होता हैं.  चाहे वह औरंगजेब हो या जाकिर नाइक... तालिबान तालिबान ही होता हैं. दहशतगर्दी सिर्फ और सिर्फ दहशतगर्दी ही होती हैं.

जावेद अहमद घामदी एक पाकिस्तानी मुस्लिम विद्वान हैं, वह कहते हैं,

"मुसलमानों द्वारा की जा रही दहशतगर्दी का कारण एक धार्मिक सोच हैं, जिसे मदरसों तथा  राजनैतिक विचारधारा के माध्यम से फैलाया जा रहा हैं. दबी आवाज में क्यों न हो लेकिन, हर मदरसे में  चार बातें पढ़ाई जाती हैं. जहा कहीं कुफ्र (गैर इस्लामिक बर्ताव) होता हैं या कोई इस्लाम को छोड़ देता हैं, तो उसे मौत की सजा देने का अधिकार 'हमें' प्राप्त हैं,  गैर मुस्लिमों की हर हुकूमत एक नाजायज हुकूमत हैं इसलिए मुसलमानों के सिवाय किसी को हुकूमत करने का हुक्म नहीं हैं और जब हमारे पास ताकद होगी तब हम उसे उलट देंगे. दुनिया में मुसलमानों की एक ही हुकूमत होनी चाहिए, जिसे खिलाफत कहते हैं. आधुनिक तथा लोकतांत्रिक राष्ट्र की विचारधारा को इस्लाम में कोई जगह नहीं हैं..... इस तरह की बातें अगर किसी बच्चे को सिखाई जाए तो वह दहशतगर्द नहीं बनेगा तो क्या बनेगा?"

घामदी साहब इस्लाम को सही मायने में समझते हैं और समझाते हैं. शायद इन्ही कारणों की वजह से तालिबानियों ने उन्हें जान से मारने की कोशिश की और उन्हें पाकिस्तान छोड़कर जाना पड़ा, ठीक उसी तरह जैसे सलमान रश्दी को भारत और तस्लीमा नसरीन को बांग्लादेश... तो क्या आतंकवाद की फैक्ट्री सिर्फ पाकिस्तान हैं?


कट्टरपंथी मुसलमानो को जो सीख दी जाती हैं वह मदरसों तक सीमित नहीं हैं. मदरसा छाप  सोच का फायदा उठाने वाली जितनी राजनीतिक पार्टियां पाकिस्तान में हैं शायद उससे ज्यादा भारत में भी हैं. मुसलमानों की धार्मिक सोच और कुछ राजनीतिक पार्टियों के वोट बैंक जैसे तंग नजरिये ने मुसलमानो के आर्थिक तथा शिक्षा के शोषण को दुसरे हाथ से बढ़ावा ही दिया हैं.

शाहबानो केस में राजीव गाँधी ने जो कुछ किया था, क्या वह मुसलमानों हित में रहा? इस घटना ने मुसलमानों के अहंकार को बढ़ावा दिया और औरंगजेब से लेकर जाकिर नाइक तक जो सोच चलते आ रही थी उस सोच को सही ठहराया हैं. क्या ऐसे पार्टियां और उनके नेता कभी अपने अंदर झांक कर देखेंगे? क्या मुसलमान कभी आरिफ मोहम्मद खान साहब जैसे उदारवादी लोगों को अपने नेता मानेंगे? चुप बैठे हुए उदारवादी मुसलमानो को आगे आना ही होगा... तब तक इस पार या उस पार के सवाल तो उठते ही रहेंगे...!

जय हिन्द...




Follow us on twitter





Post A Comment
  • Blogger Comment using Blogger
  • Facebook Comment using Facebook
  • Disqus Comment using Disqus

No comments :


Cryptocurrency News

[Cryptocurrency][grids]

Current Affairs

[Current Affairs][bleft]

Climate change

[Climate Change][twocolumns]

Lifestyle

[Lifestyle][twocolumns]