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Attention Deficit Hyperactivity Disorder (ADHD): Disease and Modern Treatment (Hindi)

अतिचंचलता : बीमारी और इलाज की नयी दिशा

अतिचंचलता जिसे अंग्रेजी भाषा में ‘अटेंशन डेफिसीट हाइपरएक्टिव डिसऑर्डर’ (Attention Deficit Hyperactivity Disorder) कहा जाता है, यह मस्तिष्क की एक ऐसी बीमारी है, जो आम तौर पर जन्म से ही हो सकती है. इसके परिणाम किशोरवयीन अवस्था में ज्यादा दिखाई देते है. इस बीमारी पर समय रहते इलाज नहीं कराया गया तो इसके गंभीर परिणाम जीवन भर रह सकते है.


इस बीमारी में नाम की तरह ही बच्चे अतिचंचल, पल भर भी शांत ना बैठने वाले, आराम से ना बैठते हुए हमेशा हलचल करते रहने वाले, खुद पर नियंत्रण ना रख पाने वाले, खुद के प्रति आत्मविश्वास ना होने वाले होते है. उनके इस स्वभाव के चलते यह बच्चे शिक्षा में काफी पिछड़ जाते है. साथ में उनमें भाषा की समस्या भी उत्पन्न होती है. पहले 2 प्रतिशत बच्चों में ही इस तरह की समस्या होती थी, लेकिन आज इसकी मात्रा काफी ज्यादा बढ़कर 10 से 12 प्रतिशत बच्चों में यह बीमारी पाई जाती है.

बीमारी के कारण

एक अभ्यास के दौरान पता चला कि, अतिचंचलता की बीमारी फल और सब्जियों पर रासायनिक खाद छीड़काव के कारण होती है. अगर कोई महिला अपनी गर्भावस्था में ऐसे फल और सब्जियों का सेवन करती है, जिनमें कृत्रिम रंग, इसेन्स, एडेसीव्ज, प्रीजर्वेटिव्ज शामिल है, तो उनके बच्चों में अतिचंचलता की बीमारी के लक्षण दिखाई देते है. इस अभ्यास के तथ्य सामने आने के बाद तब से यूरोपीय दिशों में ऐसे खाद्य पदार्थों पर प्रतिबंध लगाया गया है.

कई अनुभवों से पता चला है कि, गर्भावस्था में किसी महिला को अगर सतत रूप से मितली या उलटियां होती है, किसी भी बीमारी का संक्रमण होता है या फिर योनी मार्ग से सतत रूप से खून का रिसाव होता है, तो ऐसी  स्थिति में पैदा होने वाले बच्चे में अतिचंचलता की बीमारी पाई जाती है.

कभी-कभी कुछ मामलों में बच्चों को लगाए जाने वाले टीकों के साइड इफेक्ट के कारण अतिचंचलता की बीमारी पाई जाती है. प्रीमैच्युअर बेबी पैदा होने पर, पैदा होने के बाद बच्चे बच्चे का वजन कम होने तथा बच्चे के सीर पर चोट लगने के कारण भी  यह बीमारी हो सकती है.

बीमारी के क्या है लक्षण?

अतिचंचलता बीमारी के बच्चे किसी भी बात पर अपना ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते. पहले-पहले यह बात ध्यान में नहीं आती. लेकिन बच्चे के इस स्वभाव के कारण बच्चे की स्कूल से शिकायतें आना शुरू हो जाता है. स्कूल के टीचर हमेशा अभिभावकों की ओर ऐसे बच्चों की शिकायतें करते रहते है. इस बीमारी के बच्चे लिखाई में बिल्कुल ही अपना मन नहीं लगा पाते, जिससे वे स्कूल वर्क और होम वर्क नहीं कर पाते. किसी भी काम को शुरू करने के बाद उसे अच्छी तरह से खत्म नहीं कर पाते. हर काम आधे में छोड़ देते है.

अपना ध्यान केंद्रित ना कर पाने के कारण ऐसे बच्चे बोलने में भी पिछड़ जाते है. यह बीमारी बच्चों को भुलक्कड़ बनाती है. स्कूल में क्या होमवर्क दिया, यह भी इनके दिमाग में नहीं रहता. साथ में इन बच्चों की हमेशा कई वस्तूएं जैसे कंपास, टिफीन, पेन्सील, इरेजर कहीं पर भी भूल जाते है.

कई बार ऐसे बच्चों को जब मां-बाप या टिचर डांटते या मारते है, तो कुछ समय के लिए यह बच्चे शांत रहते है, लेकिन फौरन ही सबकुछ भूल जाते है और फिर एक बार शरारतें करने के लिए तैयार हो जाते है.
ऐसे बच्चे बाकी लोगों के लिए काफी खतरनाक होती है. अतिचंचलता के शिकार बच्चे कई बार अपनी जान को खतरे में डालते है, वे कहीं पर भी चढ़ जाते है. किसी भी चीज की पर्वा नहीं करते. उनकी कृति के होने वाले असर के बारे में वे कभी नहीं सोचते. अतिचंचलता के शिकार बच्चे जब गुस्से में आते है, तब टीवी, मोबाईल, रिमोट को फोड़ने, बाकी बच्चों के साथ धक्कामुक्की करना ऐसे काम करते रहते है.

क्या है इलाज?

अमरीकी वैज्ञानिक डॉ. बेंजामीन फेनगोल्ड के अनुसंधान में यह बात साबित हुई कि, केवल आहार से कृत्रिम रंग, इसेन्स, एडेसीव्ज, प्रीजर्वेटिव्ज को हटा दें तो अतिचंचलता ही नहीं बल्कि ओसीडी, अवसाद, अर्धशिशी, एलर्जी, दमा, त्वचा विकार के 50 प्रतिशत मरीज ठिक हो सकते है.

मस्तिष्क के लिए कौनसा आहार हानिकारक है और कौनसा आहार पोषक है, इसकी एक पद्धति वाघण्णा क्लिनिक में विकसित की गई है. इस तरह के आहार से बच्चों में बीमारी को रोकने के काफी अच्छे परिणाम सामने आ रहे है. हम बताते है कि, इस तरह के आहार से बच्चों में सुधार के लिए चार से पांच महीने लग जाते है, लेकिन कई मरीजों में केवल दो से तीन महीनों में ही काफी अच्छे नतीजे दिखाई दे रहे है और वे बच्चे काफी स्वस्थ हो रहे है.

वाघण्णा चिकित्सा सेवा प्रा. लि. की जलगांव, औरंगाबाद, पुणे और ठाणे में कार्यरत सभी शाखाओं में आयुर्वेदिक तथा होमियोपैथी विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम काम करती है. यह सभी विशेषज्ञ डॉक्टर्स अतिचंचलता समेत मतिमंदता, सेरेब्रल पाल्सी, ऑटीज्म, डाउन सिंड्रोम, मिर्गी, पार्किसन्स, डिमेन्शिया, मस्क्युलर डिस्ट्रोफी, मोटार न्यूरॉन डिसीज, प्रोग्रेसिव सुप्रा न्यूक्लियर पाल्सी और मस्तिष्क की सभी बीमारियों बेहतरीन इलाज कराते है. अतिचंचलता की बीमारी पर आयुर्वेदिक, होमियोपैथी तथा खास तौर की आहार पद्धति से अब तक सैकड़ों की तादाद में बच्चों को नया जीवन प्राप्त हुआ है.

अधिक जानकारी और ट्रीटमेंट के लिए संपर्क करें. 

डॉ. सूर्यकिरण वाघण्णा

मो. 9822092724
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