Liver Health Problems: Causes, Serious Health Issues & Solutions
लिवर हेल्थ प्रॉब्लम्स के कारण और गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं और उपाय
क्या आपने कभी सोचा है कि आपकी सुबह की मीठी चाय से लेकर देर रात तक जागने की आदत आपके लिवर को किस तरह एक खामोश दुश्मन की तरह नुकसान पहुँचा रही है?
शायद आपको यकीन न हो, लेकिन आपकी रसोई में रखी कुछ आम सी चीज़ें और आपकी रोज़मर्रा की कुछ आदतें आपके लिवर के लिए ज़हर का काम कर रही हैं।
लोग अक्सर थकान, पेट फूलने या त्वचा पर होने वाली खुजली को मामूली मानकर टाल देते हैं, पर असल में ये आपके बीमार होते लिवर के पहले इशारे हो सकते हैं।
इस वीडियो को आखिर तक ज़रूर देखिएगा, क्योंकि आज हम उन 5 सबसे बड़ी और खतरनाक गलतियों से पर्दा उठाएँगे, जो अनजाने में आपके लिवर को सिरोसिस और कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों की तरफ धकेल रही हैं।
ये वही गलतियाँ हैं जो भारत में लाखों लोगों के लिवर को चुपचाप खत्म कर रही हैं, और क्या पता, शायद आप भी उनमें से एक हों।
लिवर, शरीर का एक सुपरहीरो है। ये एक ऐसी केमिकल फैक्ट्री है जो 500 से भी ज़्यादा ज़रूरी काम करती है।
खाना पचाने से लेकर, शरीर की गंदगी साफ करने, ऊर्जा बनाने और हमें इन्फेक्शन से बचाने तक, सब कुछ इसी के जिम्मे है। अब ज़रा सोचिए, अगर ये फैक्ट्री ही बीमार पड़ जाए तो हमारे शरीर का क्या होगा?
आज भारत में लिवर की बीमारियाँ एक महामारी की तरह फैल रही हैं। एक चौंकाने वाली रिपोर्ट के मुताबिक, लगभग 38 प्रतिशत भारतीय नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर की बीमारी से जूझ रहे हैं।
इसका सीधा मतलब है कि हर तीन में से एक से ज़्यादा व्यक्ति का लिवर खतरे में है, और ज़्यादातर को इसका एहसास तक नहीं है।
सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि लिवर बहुत सहनशील होता है; यह तब तक कोई गंभीर लक्षण नहीं दिखाता, जब तक इसका एक बड़ा हिस्सा खराब न हो जाए। और जब तक लक्षण साफ़ नज़र आने लगते हैं, तब तक अक्सर बहुत देर हो चुकी होती है।
लेकिन आपको घबराने की ज़रूरत नहीं है। आज इस वीडियो में हम न सिर्फ आपको लिवर के इन छिपे हुए दुश्मनों के बारे में बताएँगे, बल्कि यह भी बताएँगे कि आप इनसे बचकर अपने लिवर को दोबारा एक नई ज़िंदगी कैसे दे सकते हैं।
5 सबसे खतरनाक आदतें जो आपके लिवर को बर्बाद कर रही हैं
पहली खतरनाक आदत: मीठे का अंतहीन सिलसिला और प्रोसेस्ड फ़ूड
हमारी लिस्ट का पहला और सबसे बड़ा विलेन है 'मीठा ज़हर', यानी चीनी और उससे बनी चीज़ें।
आजकल हमारी ज़िंदगी बिस्कुट, कोल्ड ड्रिंक, पैकेट वाले जूस, केक और मिठाइयों के बिना अधूरी सी लगती है।
आपको लगता है कि आप तो बस स्वाद के लिए ज़रा सा मीठा खा रहे हैं, लेकिन असल में आप अपने लिवर पर सीधा हमला कर रहे हैं।
जब आप ज़रूरत से ज़्यादा मीठा खाते हैं, तो आपका शरीर उस सारी चीनी को ऊर्जा में नहीं बदल पाता।
तब हमारा लिवर इस फालतू चीनी को फैट यानी चर्बी में बदलकर अपने अंदर ही जमा करना शुरू कर देता है।
बस, यहीं से 'फैटी लिवर' की कहानी शुरू होती है।
भारत में नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिज़ीज़ (NAFLD) के मामलों में जो उछाल आया है, उसके पीछे सबसे बड़ा हाथ इसी बदले हुए खान-पान और जीवनशैली का है।
शुरुआत में फैटी लिवर में शायद आपको बस हल्की थकान या पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में थोड़ा भारीपन महसूस हो।
लेकिन अगर इस आदत पर लगाम नहीं लगाई गई, तो यह जमा हुई चर्बी लिवर में सूजन पैदा कर देती है, जिसे 'स्टीटोहैपेटाइटिस' कहते हैं।
धीरे-धीरे यह सूजन लिवर की कोशिकाओं को मारना शुरू कर देती है और उनकी जगह पर घाव जैसे स्कार टिश्यू बनने लगते हैं। इसी डरावनी स्टेज को 'सिरोसिस' कहते हैं, जो लिवर फेलियर और लिवर कैंसर का सीधा दरवाज़ा है।
दुख की बात तो यह है कि आज जंक फूड और मीठे ड्रिंक्स की वजह से बच्चे भी इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं।
दूसरी खतरनाक आदत: शराब का बढ़ता चलन
यह एक ऐसा कारण है, जिसके बारे में जानते तो सब हैं, पर इसकी गंभीरता को अक्सर हल्के में ले लेते हैं। शराब लिवर के लिए सीधे ज़हर की तरह काम करती है।
जब आप शराब पीते हैं, तो आपका लिवर उसे पचाने के काम में जुट जाता है। लेकिन इस प्रक्रिया में कुछ ऐसे जहरीले केमिकल बनते हैं जो लिवर की कोशिकाओं को सीधे-सीधे डैमेज करते हैं।
लगातार और ज़्यादा शराब पीने से लिवर तीन स्टेज में खराब होता है:
अल्कोहलिक फैटी लिवर
शराब की वजह से लिवर में फैट जमना शुरू हो जाता है, जो लिवर डैमेज का पहला कदम है।
अल्कोहलिक हेपेटाइटिस
लिवर में सूजन और दर्द होने लगता है। इस स्टेज पर पीलिया, भूख न लगना और उल्टी जैसे लक्षण दिख सकते हैं।
अल्कोहलिक सिरोसिस:
यह आखिरी और सबसे खतरनाक स्टेज है, जहाँ लिवर इतना कठोर और ज़ख्मी हो जाता है कि वह अपना काम करना बंद कर देता है।
एक आम सोच है कि "कभी-कभी थोड़ी-सी पीने में क्या हर्ज़ है?"
पर सच तो यह है कि जब बात लिवर की आती है तो शराब की कोई भी मात्रा पूरी तरह सुरक्षित नहीं मानी जा सकती।
खासकर अगर आपका खान-पान पहले से ही गड़बड़ है या आपका वज़न ज़्यादा है, तो थोड़ी-सी शराब भी आपके लिवर को बहुत भारी नुकसान पहुँचा सकती है।
तीसरी खतरनाक आदत: रिफाइंड तेल और तला हुआ भोजन
गरमा-गरम समोसे, कुरकुरे पकौड़े, चिप्स और फ्रेंच फ्राइज़... ये चीज़ें ज़ुबान को तो बहुत अच्छी लगती हैं, पर आपके लिवर की सबसे बड़ी दुश्मन हैं।
बाज़ार में मिलने वाला ज़्यादातर खाना और पैकेट वाले स्नैक्स खराब क्वालिटी के रिफाइंड तेल में तले जाते हैं, जिन्हें बार-बार, बहुत तेज़ तापमान पर गर्म किया जाता है।
जब तेल को बार-बार गर्म किया जाता है, तो उसमें ट्रांस-फैट और फ्री-रेडिकल्स जैसे खतरनाक तत्व पैदा होते हैं। ये तत्व शरीर में जाकर लिवर पर ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस डालते हैं, जिससे लिवर की कोशिकाओं में सूजन आने लगती है और वे डैमेज होने लगती हैं।
यह प्रक्रिया भी नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर की बीमारी (NAFLD) को सीधा न्योता देती है।
इसके अलावा, रेड मीट और प्रोसेस्ड मीट का बहुत ज़्यादा सेवन भी लिवर पर बोझ डालता है।
इनमें सैचुरेटेड फैट बहुत ज़्यादा होता है, जो सीधे लिवर में जमा होकर उसे बीमार बनाता है।
कई बार तो सेहतमंद दिखने वाले नमकीन और बिस्कुट जैसे पैकेट वाले फूड्स में भी यही खराब फैट्स छिपे होते हैं। इसलिए, अब से सिर्फ मीठे से ही नहीं, बल्कि इन छिपे हुए अनहेल्दी फैट्स से भी सावधान रहें।
चौथी खतरनाक आदत: बिना सोचे-समझे दवाइयाँ खाना
सिरदर्द हुआ तो झट से पेनकिलर ले ली, हल्का सा बुखार आया तो एंटीबायोटिक खा ली।
यह आदत हममें से कइयों की है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पेनकिलर जैसी कई आम दवाएँ भी आपके लिवर को बहुत बुरी तरह से डैमेज कर सकती हैं?
इसे 'ड्रग-इंड्यूस्ड लिवर इंजरी' (DILI) कहा जाता है।
कुछ दर्द मिटाने वाली दवाएँ, खासकर जब उन्हें ज़रूरत से ज़्यादा या शराब के साथ लिया जाता है, तो वे लिवर के लिए बेहद ज़हरीली हो सकती हैं।
इसके अलावा, टीबी के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएँ, कुछ एंटीबायोटिक्स और कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली कुछ दवाएँ भी लिवर पर बुरा असर डाल सकती हैं।
मुश्किल तब और बढ़ जाती है, जब लोग बिना डॉक्टर से पूछे कोई हर्बल सप्लीमेंट या वज़न घटाने की गोलियाँ लेना शुरू कर देते हैं।
इन चीज़ों में क्या मिला है और वह कितनी शुद्ध है, यह कोई नहीं जानता। कई बार इनमें ऐसे केमिकल होते हैं जो सीधे लिवर फेलियर का कारण बन सकते हैं।
इसलिए, अपने लिवर को कूड़ेदान मत समझिए। कोई भी दवा या सप्लीमेंट, चाहे वह कितना भी आम क्यों न लगे, हमेशा डॉक्टर की सलाह से ही लें।
पांचवीं खतरनाक आदत: बिगड़ी हुई जीवनशैली
नींद की कमी, तनाव और एक्सरसाइज़ से दूरी
आपको शायद हैरानी हो, लेकिन आपकी नींद और आपका तनाव भी आपके लिवर की सेहत पर सीधा असर डालते हैं।
लिवर का एक बहुत ज़रूरी काम है शरीर को डिटॉक्स करना, यानी ज़हरीले पदार्थों को बाहर निकालना। और यह काम लिवर मुख्य रूप से रात में करता है, जब आप गहरी नींद में सो रहे होते हैं।
जब आप रोज़ 7-8 घंटे की अच्छी नींद नहीं लेते, तो लिवर को खुद की मरम्मत करने और शरीर को साफ करने का पूरा मौका ही नहीं मिलता।
इससे शरीर में धीरे-धीरे गंदगी जमा होने लगती है और लिवर पर दबाव बढ़ जाता है।
ठीक इसी तरह, जब आप लगातार तनाव में रहते हैं, तो शरीर में 'कोर्टिसोल' नाम का स्ट्रेस हॉर्मोन बढ़ जाता है।
रिसर्च बताती हैं कि यह हॉर्मोन भी लिवर में फैट जमा होने की प्रक्रिया को बढ़ावा दे सकता है, जो फैटी लिवर का एक कारण बन सकता है।
एक्सरसाइज़ न करना। जब हम शारीरिक मेहनत नहीं करते, तो हमारा मेटाबॉलिज़्म सुस्त पड़ जाता है।
इससे कैलोरी बर्न होने के बजाय फैट के रूप में शरीर में जमा होने लगती है, खासकर पेट और लिवर के आसपास।
मोटापा और टाइप-2 डायबिटीज, जो आज भारत में बहुत आम हो चुके हैं, फैटी लिवर के सबसे बड़े रिस्क फैक्टर हैं। रोज़ाना एक्सरसाइज़ न सिर्फ आपका वज़न कंट्रोल में रखती है, बल्कि आपके लिवर की कार्यक्षमता को भी बेहतर बनाती है।
मिलिए अपने लिवर के एक मददगार से - Tiens लिवर सॉल्यूशन पैकेज)
तो सवाल यह है कि हम अपने लिवर को सपोर्ट करने के लिए क्या कर सकते हैं?
यहीं पर Tiens लिवर सॉल्यूशन पैकेज आपकी मदद कर सकता है, और इस पैकेज का एक मुख्य प्रोडक्ट है - Tiens Chitosan Capsules.
Sixth element of body
Chitosan also known as "Oligo chitosan Chitosamine" dissolves in an acid solution. It is the positive ion that has positive electricity. It unites the negative ions in the body to balance the electricity of the body.
Chitosan is extracted from the shells of shrimp, lobster, and crabs. It is a fibrous substance that might block the absorption of dietary fat and cholesterol. Chitosan is a chemically pocessed of chitin. Chitosan uses are numerous.
Chitosan exhibits a variety of biological activities including antioxidant, hypocholesterolemia, antimicrobial, immune-stimulating, and anti-inflammatory activities.
Tiens Chitosan Capsules कोई साधारण सप्लीमेंट नहीं है. यह प्रकृति से मिला एक दिलचस्प तत्व है, जिसे समुद्री केकड़ों और झींगों के बाहरी कवच यानी काइटिन से तैयार किया जाता है.
Tiens Chitosan Capsules एक ऐसा फाइबर है जो आपके पाचन तंत्र में मदद करके आपके लिवर के काम को आसान बनाने में एक सहयोगी की भूमिका निभा सकता है.
यह आपके लिवर का एक दोस्त है, जो चुपचाप लेकिन असरदार तरीके से आपके संपूर्ण स्वास्थ्य को सपोर्ट करता है.
Tiens Chitosan Capsules का विज्ञान
अब आप सोच रहे होंगे कि यह काम कैसे करता है?
Chitosan प्रकृति में पाए जाने वाले कुछ पॉजिटिव चार्ज वाले फाइबर्स में से एक है.
विज्ञान का एक सरल नियम है:
विपरीत चीज़ें एक-दूसरे को आकर्षित करती हैं. हमारे पाचन तंत्र में, कुछ फैट और कोलेस्ट्रॉल पर नेगेटिव चार्ज होता है.
जब आप Tiens Chitosan कैप्सूल लेते हैं, तो यह आपके पाचन तंत्र में जाकर एक चुंबक की तरह काम कर सकता है. इसका पॉजिटिव चार्ज, नेगेटिव चार्ज वाले कुछ डायटरी फैट और कोलेस्ट्रॉल को अपनी ओर खींचकर बाँध लेता है.
एक बार बंधने के बाद, इन तत्वों का खून में अवशोषण कम हो जाता है और वे शरीर से मल के रास्ते बाहर निकल जाते हैं.
इसका सीधा मतलब यह है कि Chitosan पाचन तंत्र में ही फैट को बांधकर लिवर पर पड़ने वाले बोझ को कम करने में मदद करता है.
इससे लिवर को खुद को ठीक रखने और बेहतर तरीके से काम करने का मौका मिल सकता है. Tiens Chitosan में 85% तक डी-एसिटिलेशन डिग्री होती है, जो इसकी शुद्धता और प्रभावशीलता का एक पैमाना माना जाता है.
Tiens Chitosan के संभावित स्वास्थ्य लाभ
जब Tiens Chitosan Capsules पाचन तंत्र को सपोर्ट करता है, तो इसके कुछ अच्छे असर पूरे शरीर में दिख सकते हैं:
लिवर के काम में सहायता:
यह सीधे लिवर को डिटॉक्स नहीं करता, बल्कि पाचन तंत्र में ही कुछ फैट्स को बांधकर लिवर पर पड़ने वाले बोझ को हल्का करने में मदद कर सकता है.
जिन लोगों को फैटी लिवर की समस्या है, उनके लिए एक स्वस्थ जीवनशैली के साथ यह एक अच्छा सहायक हो सकता है.
कोलेस्ट्रॉल और फैट मैनेजमेंट:
यह शरीर में कुछ डायटरी फैट और बुरे कोलेस्ट्रॉल (LDL) के अवशोषण को कम करने में मदद करता है.
यह आपके दिल के स्वास्थ्य के लिए भी एक अच्छी बात है. साथ ही, यह शरीर में अतिरिक्त फैट के जमाव को कम करके वज़न प्रबंधन में सहायता कर सकता है.
बेहतर पाचन और ऊर्जा:
यह एक तरह का फाइबर है, इसलिए यह पाचन को सुधारने में मदद कर सकता है. जब पाचन तंत्र बेहतर काम करता है, तो गैस और सूजन जैसी समस्याएँ कम हो सकती हैं और आप ज़्यादा ऊर्जावान महसूस कर सकते हैं.
इम्यूनिटी को सपोर्ट:
जब आपका पाचन तंत्र और लिवर सही तरीके से काम करते हैं, तो आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी स्वाभाविक रूप से बेहतर होती है. इससे आप बार-बार बीमार पड़ने से बच सकते हैं.
एक संपूर्ण समाधान - पैकेज के अन्य सहयोगी
हालांकि Chitosan अपने आप में एक बेहतरीन प्रोडक्ट है, Tiens लिवर सॉल्यूशन पैकेज में इसे और भी असरदार बनाने के लिए कुछ अन्य सहयोगी प्रोडक्ट्स भी शामिल हो सकते हैं:
Tiens Spirulina:
यह पोषक तत्वों का खज़ाना है. इसमें मौजूद विटामिन्स, मिनरल्स और प्रोटीन शरीर को पोषण देते हैं और लिवर के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकते हैं.
कुछ स्टडीज के अनुसार, स्पिरुलिना में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो लिवर की सुरक्षा में सहायक हो सकते हैं.
Tiens Zinc Plus:
जिंक एक ज़रूरी मिनरल है जो शरीर की कई प्रक्रियाओं, समेत इम्यून फंक्शन और कोशिकाओं की मरम्मत के लिए आवश्यक है. यह लिवर के स्वास्थ्य के लिए भी एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है.
यह कॉम्बिनेशन सुनिश्चित करता है कि आपके लिवर को सिर्फ़ सपोर्ट ही न मिले, बल्कि उसे सही पोषण भी मिले ताकि वह मज़बूत बना रहे.
Tiens Chitosan Capsules के अन्य स्वास्थ्य लाभ
शरीर से पारा जैसे भारी धातुओं को प्रभावी ढंग से हटाता है।
यह वसा और कोलेस्ट्रॉल के साथ जुड़ता है और वजन घटाने में मदद करता है।
सूजन पैदा करने वाली कोशिकाओं, मैक्रोफेज और फाइब्रोब्लास्ट को सक्रिय करके घाव को भरने में मदद करता है।
सामान्य कमजोरी और कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों के लिए अच्छा है।
डायबिटीज के मरीज में पाचन क्षमता को बढ़ता हैं.
उच्च लिपिड और हृदय संबंधी समस्याओं वाले लोगों लिए लाभदायक.
वसा के अवशोषण को रोकता है।
कोलेस्ट्रॉल के रूपांतरण को बढ़ावा देता है। उच्च घनत्व लिपोप्रोटीन (HDL) को बनाए रखता है।
रक्त शर्करा को बनाए रखता है।
यकृत (लिवर) के कार्य में सुधार करता है।
प्रतिरक्षा को बढ़ाता है।
शरीर के द्रवों का pH बढ़ाता हैं.
कोशिकाओं को सक्रिय और मरम्मत करता है।
शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालता है।
- Effectively removes heavy metals like mercury from the body.
- It binds with fat and cholesterol and helps in weight loss.
- Promotes wound healing by stimulating inflammatory cells, macrophages, and fibroblasts.
- Good for people with general weakness and low immunity
- Diabetics people with poor digestion.
- People with high lipid and cardiovascular problems.
- Obstrucs the absorption of fats.
- Promotes the transformation of cholesterol. Maintains High-density lipoprotein (HDL)
- Maintains blood sugar.
- Improves liver function.
- Improves immunity.
- Adjusts the pH value of body fluid.
- Activates & repairs cell.
- Remove toxins in the body.
Tiens Chitosan Capsules को कैसे इस्तेमाल करें?
इसकी शक्तियों का पूरा लाभ उठाने के लिए, इसे सही तरीके से इस्तेमाल करना ज़रूरी है.
Tiens Chitosan Capsules के लिए सामान्य सुझाव है:
2 कैप्सूल, दिन में दो बार.
इसे हमेशा खाना खाने से लगभग 30-60 मिनट पहले एक बड़े गिलास पानी के साथ लें.
विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि स्वस्थ जीवनशैली के साथ, साल में एक या दो बार शरीर को सपोर्ट करने के लिए ऐसा कोर्स करना फायदेमंद हो सकता है.







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