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मोटापा और एडवान्स्ड् होमियोपैथी इलाज

आज की आधुनिक जीवनशैली में हमारी जिंदगी काफी भागदौड़ और व्यस्तताओं से भरी हो चुकी है. इस बदली हुई जीवनशैली में ज्यादातर काम बैठकर ही होते है, जिससे शारीरिक श्रम दिन-ब-दिन कम होते जा रहे है. इस स्थिति में ज्यादातर लोगों की आहार की आदतें भी काफी बदल गई है.


इन सभी का असर यह हो रहा है कि, विभिन्न तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है. पहले जो बीमारियां 40 की आयु के पश्चात दिखाई देती थी, आज वही बीमारियां बच्चों से लेकर बड़ों तक दिखाई देती है. इस जीवनशैली की सबसे बड़ी देन है मोटापा.

मोटापा (ओबेसिटी) यह आम तौर पर मध्यवर्ग और उच्चभ्रू लोगों में ज्यादातर मात्रा में दिखाई देता हों, लेकिन आज सब तरफ इससे ग्रसित लोग दिखाई देते है. मोटापे का संबंध हमारे दैनंदिन जीवन के आहार से काफी करीब से जूड़ा हुआ है. इसलिए हमें इस संबंध को बारीकी से समझना होगा.

उचित आहार हमारी तंदुरुस्त और आनंदमयी जीवन के लिए काफी आवश्यक होता है. मोटापा हालांकि एक ऐसी बीमारी है, जिसकी तकलीफ बाकी बीमारियों की तरह नहीं होती इसलिए हम उस ओर काफी अनदेखी करते है.

लेकिन भविष्य में इसके काफी दूरगामी परिणाम हमें भूगतने पड़ते है. जैसा कि खून में चरबी की मात्रा बढ़ने लगी तो हमारी धमनियां ब्लॉक होकर रक्ताभिसरण में बाधा उत्पन्न हो सकती है. इससे कई सारी बीमारियों का हमें सामना करना पड़ सकता है. जो लोग ज्यादा मोटे होते है उन्हें हमेशा एक मानसिक तनाव से गुजरना पड़ता है. मोटे व्यक्ति को हमेशा लगता रहता है कि, उसके मोटापे से उसे भविष्य में कोई ना कोई गंभीर बीमारी होगी. यह बात उसे हमेशा खाए जाती है.

मोटापे से होने वाली बीमारियां


जब हमारे शरीर में चरबी बढ़ती जाती है, तो उससे भविष्य में कई सारी बीमारियां हो सकती है. जब हमारा वजन एक किलो बढ़ता है, तो इससे 10 प्रतिशत कोलेस्टेरॉल बढ़ता है.

इस स्थिति में 2 प्रतिशत हृदयरोग की संभावना बढ़ती है. उम्र के 25वें वर्ष में हमारा जितना वजन होता है, उसी हिसाब से हमारा हृदय तैयार होता है. अगर अतिरिक्त वजन बढ़ गया तो यह शरीर के लिए बोझ साबित होता है.

अगर माता-पिता दोनों मोटापे से ग्रस्त है तो ऐसे में बच्चों में मोटापा आने की 30 प्रतिशत संभावना रहती है, जबकि माता-पिता में से कोई एक मोटापे से ग्रस्त है तो बच्चों में मोटापा आने की 50 प्रतिशत संभावना रहती है.

मोटापे के चलते हृदयरोग, डाइबिटीज, उच्च रक्तचाप, जोड़ों का दर्द, पित्ताशय के कंकड़ और कैन्सर की संभावना रहती है. बढ़ा हुआ पेट तो बीमारियों के लिए खास निमंत्रण होता है. हमारा वजन हमारी उंचाई के अनुपात में होना जरुरी है. इससे ज्यादा वजन शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है.

मोटापे से होने वाली तकलीफ


मोटापे के चलते किसी भी व्यक्ति को विभिन्न तरह की तकलिफों से गुजरना पड़ता है. जैसे चलते-फिरते समय सांस फूलना, उठते-बैठते वक्त तकलीफ होना, शरीर का संतुलन ना रहना, शरीर हमेशा भारी लगना, चिढ़चिढ़ापन, किसी भी काम में उत्साह ना लगना, हमेशा सोने रहने की इच्छा होना, आलसीपन, ज्यादा पसीना, हाथ-पैर में झुनझुनाहट, मानसिक न्यूनता का भाव.

होमियोपैथी है इलाज


मोटापे को कम कर सामान्य जीवन जीने के लिए होमियोपैथी में बेहतरीन इलाज है. डॉ. नाइक होमियोपैथी अस्पताल में मोटापे पर आधुनिक तकनीक से इलाज किया जाता है. होमियोपैथी से असाध्य बीमारियां भी ठिक होकर मरीज तंदुरुस्त और आनंदमय जीवन जी सकता है.

इसलिए मोटापे को कम करने के लिए होमियोपैथी का इलाज करवाएं. हां, एक बात है कि मोटापा कम करने लिए होमियोपैथी से इलाज कराना हों तो इसके लिए काफी संमय रखना पड़ता है. अगर बीच में इसका इलाज छोड़ दें तो नतीजे उचित नहीं हो सकते. इसलिए संयम रखते हुए इलाज करते रहें. कोई भी मोटा व्यक्ति एक दिन दुबले-पतले लोगों की तरह सामान्य जीवन जी सकते है.

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें

डॉ. उदय नाइक,

नाइक होमियोपैथी हॉस्पीटल, कर्वे रोड, पुणे
मो. 9822148129


Tags: what causes obesity, types of obesity, symptoms of obesity, prevention of obesity, obesity treatment, obesity disease

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