Sciatica and Back Pain
In general, diseases like Sciatica or backache are seen in many people. Backache is a problem especially after a cold. It is said that 70 percent of the people in the world have to suffer backache at least once in life.
By the way, this problem persists in a temporary form. But many people suffer unbearable pain due to this disease. In severe cases, the veins of the spine swell and shrink. This causes great pain in the back. In this situation, the feet often feel heavy.
Today in this article, we will learn more about this subject from Dr. Anand Kavi, the famous endoscopic spine surgeon of Apollo Spectra Hospital Pune.
Sleep disk or spinal problem
The backbone is an important part of our body. The spinal cord is like a protective tube for nerves released from the brain. The bones of the spine are divided by various spondyl. spondyl acts like a pillow and shock observation between the bones.
But when these spondyls start to explode, then nuclei like jelly come out of them and they touch the veins of the rest of the spondyl. It hurts a lot. At the same time, the veins are produced in the nerves of the passage of the veins, due to which the pain is unbearable.
How to treat
In this type of disease, surgeons recommend surgery. Many times patients get scared due to this advice. Due to this fear, many times patients start treatment such as self-meditation, yoga, physiotherapy. Some people get immediate relief from this, but the condition of many people becomes very serious. It is necessary to get proper treatment immediately. But many times, the patients take a long time to go to the doctors, due to which they may have to suffer the loss in permanent form.
In such a case, we study the patient's disease closely and work to find out the main causes of pain. This disease can also be cured without surgery, but surgery is required if the pain is more.
Treatment is started after examination and MRI scans in detail. Keeping in mind the severity of the problem, medicines are given and asked to rest. Exercise is also recommended when the disease is mild in nature. Nerve injection or spinal injection is given if there is a moderate type of pain.
Tearless endoscopic surgery is done by giving anesthesia to patients who do not benefit from traditional treatment. This surgery is a revolutionary research. In this, the endoscope is inserted after the muscles are inflated from the side to the affected spinal cord.
In this process, the spondyl of the back is given a natural shape and it is brought to stability. In this process, no incision is made in the bones and the hole made in the skin is only 7 to 8 millimeters. This hole is naturally closed later. There is no blood in this surgery.
Endoscope and laser
Due to the endoscope, there is a proper diagnosis of the disease in the spinal cord. In this disease, it is possible to remove the part where there is a problem. Due to this treatment method, ejaculation, instability, and fusion of screws or rod due to spondyl in severe form can be avoided.
Laser and radiofrequency machines make strong tissues more narrow and are used for extra growth of bones that suppress nerves.
Features of endoscopy surgery
This type of surgery does not require the patient to be given anesthesia. This surgery is also very safe for patients who have diabetes, hypertension, heart, and respiratory disease.
From this first day onwards, the patient starts recovering. The patient is not required to enter the ICU. On the first day of surgery, the patient starts walking on his feet. Long-term injections, acute form antibiotics are not required.
Urinary catheters are not required. After this surgery, the patient is discharged from the hospital soon, which also saves the money of the patient and his family.
In what condition of the disease surgery required?
Endoscopic surgery should be done under these conditions- Like if there is a lot of pain in the back and its pain reaches the feet, there is severe pain in the thigh and knees, there is difficulty in sitting down, there is a pain in getting up in the morning, there is a pain in the leg or calf, You are suffering from changes in sleep, feel cold in cold weather, weakness in feet. Surgery is necessary for these situations.
For more information contact
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Dr. Anand Kavi
Endoscopic Spine Surgeon
Apollo Spectra Hospitals, Pune
काफी सामान्य तौर पर सायटिका या पीठदर्द जैसी बीमारियां कई लोगों में दिखाई देती है. खास तौर पर जुकाम होने के बाद पीठदर्द की समस्या होती है. ऐसा कहा जाता है कि, दुनिया के 70 प्रतिशत लोगों को कम से कम एक बार पीठदर्द का सामना करना पड़ता है.
वैसे तो यह समस्या केवल तात्कालीक होती है. लेकिन कई लोगों को इस बीमारी के कारण असहनीय दर्द का सामना करना पड़ता है. गंभीर मामलों में रीढ़ की नसों में सूजन आती है और उनका संकुचन होता है. इससे पीठ में काफी दर्द होता है. इस स्थिति में कई बार पैरों में भारीपन आ जाता है.
आज इस आर्टिकल में हम अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल पुणे के मशहूर इंडोस्कोपिक स्पाइन सर्जन डॉ. आनंद कवी से इस विषय पर अधिक जानेंगे.
स्लीप डिस्क या रीढ़ की हड्डी की समस्या
हमारे शरीर के रीढ़ की हड्डी एक अहम हिस्सा है. मस्तिष्क से निकली तंत्रिकाओं के लिए रीढ़ की हड्डी संरक्षक नली की तरह होती है. रीढ़ की हड्डियां विभिन्न स्पाँडिल से विभक्त रहती है. स्पाँडिल हड्डियों के बीच तकिए तथा शॉक ऑब्जर्विंग की तरह काम करता है.
लेकिन जब यह स्पाँडिल फटने लगते है, तब जेली जैसे न्युक्लेयस उनसे निकलते है और वे पीठ के बाकी स्पाँडिल की नसों को स्पर्श करते है. इससे काफी पीड़ा होती है. साथ ही नसों के मार्ग की तंत्रिकाओं में लहरे उत्पन्न होती है, जिससे पीड़ा असहनीय होती है.
इस तरह की बीमारी में सर्जन सर्जरी की सलाह देते है. इस सलाह से कई बार मरीज घबरा जाते है. इस डर से मरीज कई बार सेल्फ मेडिटेशन, योगासन, फिजियोथेरेपी जैसे इलाज कराने लगते है. इससे कुछ लोगों को फौरी राहत तो मिलती है, लेकिन कई मरिजों की स्थिति काफी गंभीर हो जाती है. इस पर फौरन उचित इलाज कराना जरुरी होता है. लेकिन कई बार मरीज डॉक्टरों के पास जाने के लिए काफी देर कर देते है, जिससे उन्हें स्थायी स्वरूप में भी नुकसान झेलना पड़ सकता है.
इस तरह के केस में हम मरीज की बीमारी का बारीकी से अध्ययन करते है तथा पीड़ा के मुख्य कारणों का पता लगाने का काम करते है. यह बीमारी बगैर सर्जरी के भी ठीक हो सकती है, लेकिन पीड़ा ज्यादा होने पर सर्जरी की आवश्यकता होती है.
डिटेल में जांचपड़ताल और एमआरआई स्कैन के पश्चात इलाज शुरू किया जाता है. समस्या की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए दवाईयां दी जाती है तथा आराम करने को कहा जाता है. बीमारी सौम्य स्वरूप में होने पर व्यायाम भी सुझाए जाते है. मध्यम स्वरूप की पीड़ा हों तो नर्व इंजेक्शन या स्पाइनल इंजेक्शन दिया जाता है.
परंपरागत इलाजों से जिन मरिजों को लाभ नहीं होता, उन्हें एनेस्थेशिया देकर टाकारहित एन्डोस्कोपिक सर्जरी की जाती है. यह सर्जरी एक क्रांतिकारी अनुसंधान है. इसमें रीढ़ के हड्डी के प्रभावित स्पाँडिल तक साईड से मांसपेशियों को फुलाकर एन्डोस्कोप डाला जाता है.
इस प्रक्रिया में पीठ के स्पाँडिल की प्राकृतिक आकार देकर उसमें स्थिरता लाई जाती है. इस प्रक्रिया में हड्डियों में कोई भी चीरा नहीं लगाया जाता तथा त्वचा में किया जाने वाला छेद केवल 7 से 8 मिलिमीटर होता है. यह छेद प्राकृतिक तौर पर बाद में बंद होता है. इस सर्जरी में खून भी नहीं निकलता.
एण्डोस्कोप और लेजर
एण्डोस्कोप के कारण रीढ़ के हड्डी में जहां बीमारी है उसका उचित निदान होता है. इस बीमारी में जहां समस्या है उस भाग को निकालना संभव होता है. इस इलाज की पद्धति के चलते गंभीर स्वरूप में स्पाँडिल से होने वाला स्खलन, अस्थिरता तथा स्क्रू या रॉड से होने वाले फ्युजन को टाला जा सकता है.
लेजर और रेडियो फ्रिक्वेन्सी संयंत्र मजबूत ऊतकों को और संकरा बनाते है और नसों को दबाने वाले हड्डियों की अतिरिक्त विकास के लिए इस्तेमाल होते है.
एन्डोस्कोपी शल्यक्रिया की विशेषताएं
इस तरह की शल्यक्रिया में मरीज को एनेस्थेशिया देने की आवश्यकता नहीं होती. जिन मरिजों को डाइबिटीज, हाइपरटेन्शन, हृदय और सांस की बीमारी ऐसे मरिजों के लिए भी यह सर्जरी काफी सुरक्षित होती है.
इस शस्त्रक्रिया के बाद पहले दिन से मरीज ठीक होने लगता है. मरीज को आईसीयू में दाखिल करने की आवश्यकता नहीं होती. सर्जरी के पहले दिन ही मरीज अपने पैरों पर चलने लगता है. दीर्घकालिक इंजेक्शन, तीव्र स्वरूप की एन्टीबायोटिक्स नहीं लेने पड़ते.
यूरिनरी कैथेटर्स की आवश्यकता नहीं होती. इस सर्जरी के बाद मरीज को अस्पताल से जल्द छुट्टी मिल जाती है, जिससे मरीज और उसके परिजन के पैसों की भी बचत होती है.
बीमारी के किस स्थिति में करें सर्जरी
एन्डोस्कोपिक सर्जरी इन परिस्थितियों में की जानी चाहिए. जैसे अगर पीठ में काफी दर्द हो रहा है और इसकी पीड़ा पैरों तक पहुंचती है, जांघ में और घुटनों में तेज दर्द हो रहा है, नीचे बैठने में तकलीफ हो रही है, सुबह उठतेही पीड़ा हो रही हो, पैर या पिंडली में दर्द हों, नींद में करवट बदलने पर तकलीफ हो रही हो, ठण्डे मौसम में अडकन महसूस होती हो, पैरों में कमजोरी महसूस होती हो. इन स्थितियों में सर्जरी आवश्यक बनती है.
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