Ayurvedic Remedy: Panchagavya is an Elixir to Prevent Various Diseases (Hindi)
Panchgavya (Panchagavya or Panchakavyam) is considered nectar in Ayurveda. By using it, not only cancer, it has been found suitable on all diseases. Panchagavya is clearly very effective on all diseases. In domestic remedies, many people believe that cow dung and urine are the most successful treatment for cancer.
According to the claims of Tamil Nadu Agricultural University (TNAU) website in a report published in 'The Hindu', a woman has got rid of severe disease like psoriasis in 21 days by applying Panchagavya in her body.
A woman suffering from psoriasis throughout the body underwent allopathic treatment for one and a half years. In the meantime, the woman started using Ayurvedic home remedies called 'Panchagavya'. After 15 days, her psoriasis was completely cured.
Today, in this article, we have Vaidya Ajit S of the Institute of Science Research, Pune. Through Udavant, we tried to know the importance of Panchagavya and its benefits for human body.
What is Panchagavya?
Panchgavya, which is prepared after mixing cow dung, cow urine, milk, ghee and curd, is called. Panchagavya is a strong tonic, which proves to be very effective in curing many diseases. Panchagavya has been said to have great importance in Ayurveda.How to Consume Panchagavya?
Practicing Panchagavya after brushing every morning greatly benefits health. One week before taking Panchagavya, add ghee to Triphala, Gomutra or cow's hot milk and make a sacrifice.
Benefits of Consuming Panchagavya
Practicing Panchagavya increases the weight of pregnant women. Also, the health of the unborn child is also good and it helps in the normal delivery of the pregnant woman. In Panchagavya, Goumutra works as Mahaushadhi. Goumutra's essence has also received 5 international patents. In this Goumutra essence, it is famous for anti-cancer properties.Different Benefits of Gaumootra (cow urine)
Carbolic acid, the component contained in cow urine, is very effective in diseases. The pain of teeth decreases by rinse with cow urine. Due to the calcium present in the cow urine, bones are greatly strengthened. Also, the lactose present in the cow urine provides protein to children and senior citizens.Tones up the muscles of the heart. In old age, the goumutra protects the brain from becoming weak. Goumutra does the work of preventing hysterical mental diseases of women. The carbolic acid present in cow urine works to purify semen.
In the case of bile disorder, drinking it by mixing it in Avipattikar Churna is very beneficial. Taking Gomutra with Ghanvati Glucose in summer season and Goumutra with honey in the winter season has great health benefits.
Goumutra is the only effective medicine for all types of Vata diseases. Diabetes patients regularly consume Gomutra and Shilajit, so they get relief from diabetes to a great extent.
Goumutra proves to be very important in the heart diseases. The use of cow urine does not cause blood clots. In high and low blood pressure, lactose present in cow urine has proved to be quite suitable.
The cow urine does not allow fats to freeze in the arteries. Due to which there is a lot of benefit of cow urine for the heart. Many times in kidney disease there is an increase in the prostate gland. In such a situation, taking Goumutra gives relief to a great extent from this disease. But giving all this treatment, the advice of an expert or a doctor is very important.
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Vaidya Ajit S. Udawant
Govigyan Research Centre, Pune
मो. 9881974054
पंचगव्य : विभिन्न रोगों को दूर भगाने वाला अमृत
आयुर्वेद में पंचगव्य (Panchakavyam) को अमृत माना जाता हैं. इसके उपयोग करने से केवल कैंसर ही नहीं सभी बीमारियों पर इसे उपयुक्त पाया गया हैं. पंचगव्य स्पष्ट रूप से सभी बीमारियों पर बेहद असरदार हैं. घरेलू उपायों में कई लोग यह मानते हैं, कि गाय का गोबर और मूत्र कैंसर का सर्वाधिक सफल इलाज है.
'द हिन्दू' में छपे एक खबर में तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय (TNAU) के वेबसाइट के दावों के अनुसार, एक महिला ने पूरे शरीर में पंचगव्य को लगाने से 21 दिनों में सोरायसिस जैसी गंभीर बिमारी से छुटकारा पाया हैं.
पूरे शरीर में सोरिएसिस से पीड़ित एक महिला डेढ़ साल से एलोपैथिक उपचार कर रही थी. इसी बिच उस महिला ने, आयुर्वेदिक घरेलू उपचार जिसे 'पंचगव्य' कहा जाता हैं, का उपयोग शुरू किया. 15 दिनों के बाद, उसका सोरायसिस पूरी तरह से ठीक हो गया था.
आज इस आर्टिकल में हम पुणे के गोविज्ञान अनुसंधान संस्था के वैद्य अजित एस. उदावंत के द्वारा हमने पंचगव्य का महत्त्व और उसके मानवी शरीर के लिए होने वाले फायदों के बारे में जानने की कोशिश की.
What is Panchagavya?
देसी गायों का गोबर, गौमूत्र, दूध, घी एवं दही का मिश्रण करने के बाद जो चीज तैयार होती है, उसे पंचगव्य कहा जाता है. पंचगव्य एक सशक्त टॉनिक है, जोकि कई सारे रोग दूर करने में काफी कारगर साबित होता है. पंचगव्य का आयुर्वेद में काफी महत्व बताया गया है.How to Consume Panchagavya?
हर सुबह ब्रश करने के बाद पंचगव्य का प्राशन करने से स्वास्थ्य को काफी ज्यादा लाभ होता है. पंचगव्य लेने से पहले एक सप्ताह त्रिफला, गौमूत्र या गाय के गरम दूध में घी डालकर प्राशन करें.
Benefits of Consuming Panchagavya
पंचगव्य के प्राशन करने से गर्भवती महिलाओं के वजन में बढ़ोतरी होती है. साथ ही गर्भ में पल रहे बच्चे का स्वास्थ्य भी अच्छा होता है और गर्भवती महिला की नॉर्मल डिलीवरी होने में मदद होती है. पंचगव्य में गौमूत्र महाऔषधि के तौर पर काम करता है. गौमूत्र के सार को 5 अंतरराष्ट्रीय पेटेंट भी प्राप्त हुए है. इसमें गौमूत्र सार यह कैन्सर विरोधी गुणधर्मों के लिए विख्यात है.Different Benefits of Gaumootra (cow urine)
गौमूत्र में निहित घटक कार्बोलिक एसिड दंतरोगों में काफी कारगर साबित होता है. गौमूत्र से कुल्ला करने से दातों का दर्द कम होता है. गौमूत्र में मौजूद कैल्शियम के चलते हड्डियों को काफी मजबूती मिलती है. साथ ही गौमूत्र में मौजूद लैक्टोज बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों को प्रोटीन प्रदान करता है.हृदय की पेशियों को टोनअप करता है. वृद्धावस्था में मस्तिष्क को दुर्बल होने से गौमूत्र बचाता है. महिलाओं के हिस्टेरियाजन्य मानसिक रोगों को रोकने का काम गौमूत्र करता है. गौमूत्र में मौजूद कार्बोलिक एसिड वीर्य को शुद्ध करने का काम करता है.
पित्त विकार होने पर अविपत्तिकर चुर्ण गौमूत्र में मिलाकर पिने से काफी लाभ होते है. गर्मीयों के मौसम में गौमूत्र घनवटी ग्लुकोज के साथ लेने से तथा ठण्ड के मौसम में गौमूत्र शहद के साथ लेने से स्वास्थ्य को काफी लाभ होते है.
सभी प्रकार के वात रोगों पर गौमूत्र एकमात्र प्रभावी औषधि है. डाइबिजीट के मरीज नियमित रूप से गौमूत्र और शिलाजीत का सेवन करें, तो उन्हें डाइबिटीज से काफी हद तक राहत मिलती है.
लीवर की बीमारियों से राहत के लिए गौमूत्र के साथ पुनर्गवा एवं एलोवेरा का उपयोग करें. जलोदर होने पर गौमूत्र में 2 ग्राम गवक्षार मिलाकर पिने से तथा सोराइसीस तथा त्वचार रोगों में गौमूत्र तथा गुलवेल एक साथ मिलाने से लाभ होता है.
हृदयविकार में गौमूत्र काफी महत्वपूर्ण साबित होता है. गौमूत्र के इस्तेमाल से खून की गुठलियां नहीं होती. उच्च एवं कम रक्तचाप में गौमूत्र में मौजूद वलैक्टोज काफी उपयुक्त साबित हुआ है.
धमनियों में गौमूत्र चरबी को जमने नहीं देता. जिससे हृदयविकार में गौमूत्र का काफी लाभ होता है. गुर्दे की बीमारी में कई बार प्रोटेस्ट ग्रंथि में बढ़ोतरी होती है. ऐसे में गौमूत्र का सेवन करने पर इस बीमारी से काफी हद तक राहत मिलती है. लेकिन यह सब इलाज कराते हुए किसी विशेषज्ञ या वैद्य की सलाह काफी महत्वपूर्ण है.
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