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How to Avoid Spinal Cord Disease?

How to Avoid Spinal Cord Disease?

If you want to live with self-respect then it is said that 'live by lifting the head'. But to lift the head, the backbone of any person must remain strong. But due to the changing lifestyle, increasing stress of work, uneven changes in eating and drinking habits, spinal diseases can take any person in their grip.

When this problem is serious, doctors recommend surgery to such patients. But Dr. Viraj Bhandari (Ayurveda Vachaspati) of Pune, has a successful treatment without any surgery for those suffering from serious spinal diseases.

In the context of this problem, Dr. Bhandari said that there are two types of spine diseases. The first is physiologic and second mechanical. The physiological disease occurs due to deterioration of body and mood.

This problem arises due to inequality coming in the Vata, pitta, and phlegm in the body. A disproportionate quantity of diet, lower physical exercises, and lack of positive thinking are also helpful in this disease.

Change bad eating habits

How to Avoid Spinal Cord Disease?

Today our food habits have changed a lot. Spinal diseases are increasing due to a kind of inequality among them.

Sweet should be eaten first while eating food. Later it is necessary to eat sour things and then hot things. But we all reverse. This causes constipation and indigestion. This is where the disease of our back and spinal cord start.

Drinking water as soon as you wake up in the morning is also a major cause of this disease. Apart from this, kidney stones, frequent fever, lack of stomach, stomach bloating are caused by back disease.

Mental illness is a major cause

How to Avoid Spinal Cord Disease?

Today's life is full of race, stress, and competition, stress has increased in a large amount. Today we have to go through stress everywhere whether job or business.

Because of this, we start excessive thinking. In such a situation there is always tension on us. Also, there is a concern with the future. Due to all these, the pressure on the medullary nerves of the body increases, and the spinal disease starts.

Mechanical back pain problem

We do different kinds of work throughout the day, from getting up in the morning to sleeping at night. There are also traveling a lot. But while doing these actions of the body, we do not stir the body technically.

Due to this, there are changes in the patches present in our spinal bones. This illness starts with an uneasy movement of the spine. The spinal patches, padding, spondyl, move back and forth, up and down, causing back pain.

Marm therapy is the best treatment

In ancient Ayurveda, the importance of Marm therapy has been told. This therapy proves to be very effective in diseases of the spine.

In Marma therapy, the disease can be got rid of by treating the medulla nerves and arteries present in the body. Also, by performing Panchakarma, the strength of the spine can be increased by removing all the defects present in the body. Spinal cord disease can be removed by strengthening the muscles and bones. In this context, different types of treatment exist in different countries.

Effective treatment by Dr. Bhandari

Dr. Bhandari Spine Technique Clinic provides the best treatment in the context of spinal diseases by combining modern and ancient treatment systems. To date, a large number of patients in this clinic, who were advised by the doctors for surgery, have been cured without any surgery.

With the help of Ayurvedic medicines, Spine Panchakarma, Spine Yoga batches, these diseases have been found to be effective to a great extent by Dr. Viraj Bhandari's treatments.

For more information contact
Dr. Viraj Bhandari
Shop no 2, Ganapati, Shubhlabh Residency,
715, Guruvar peth, opposite Khadakmal,
near Swargate, Pune, Maharashtra 411002

Mobile: 090670 68153












रीढ़ की हड्डियों की बीमारी से कैसे बचें?

How to Avoid Spinal Cord Disease?

अगर स्वाभिमान से जीना है तो ‘सीर उठाकर जियो’ ऐसा कहा जाता है. लेकिन सीर उठाकर जिने के लिए किसी भी व्यक्ति की रीढ़ की हड्डी मजबूत रहनी चाहिए. लेकिन हमारी बदलती हुई जीवनशैली, काम का बढ़ता तनाव, खाने-पीने की आदतों में हुए असमान बदलावों के चलते रीढ़ की हड्डी की बीमारियां किसी भी व्यक्ति को अपनी जकड़ में लेती है.

यह समस्या गंभीर होने पर ऐसे मरिजों को डॉक्टर सर्जरी की सलाह देते है. लेकिन पुणे के वैद्य डॉ. विराज भंडारी (आयुर्वेद वाचस्पती) के पास रीढ़ की हड्डी से संबंधित गंभीर बीमारियों से ग्रसित मरिजों का बगैर किसी सर्जरी के सफल इलाज होता है.

इस समस्या के संदर्भ में डॉ. भंडारी ने बताया कि, रीढ़ की हड्डी की कोई भी बीमारी दो तरह की रहती है. पहला है फिजियोलॉलीजकल तथा दूसरी मैकेनिकल. शरीर भाव और मानस भाव के बिगड़ने से फिजियोलॉजीकल बीमारी होती है.

शरीर में मौजूद वात, पित्त और कफ इन दोषों में आने वाली असमानता के चलते यह समस्या उत्पन्न होती है. आहार, विहार और मानस भाव असमान मात्रा में कम-ज्यादा होना भी इस बीमारी में मददगार साबित होता है.

खान-पान की बुरी आदतें बदलें

How to Avoid Spinal Cord Disease?

आज हमारी खान-पान की आदतें काफी बदल गई है. इनमें एक तरह की असमानता आने के चलते रीढ़ की हड्डी की बीमारियां बढ़ रही है.

खाना खाते समय मिठी चीज सबसे पहले खानी चाहिए. बाद में खट्टी चीजें और उसके बाद तीखी चीजें खाना जरुरी होता है. लेकिन हम सब उल्टा-पुल्टा कर देते है. इसके चलते कब्ज और अपचन होता है. यहीं से हमारे पीठ और रीढ़ की हड्डी की बीमारी की शुरुआत होती है.

सुबह उठते ही पानी पिना यह भी इस बीमारी का प्रमुख कारण है. इसके अलावा किडनी स्टोन, बार-बार बुखार आना, पेट साफ ना होना, पेट का फुलना पीठ की बीमारी के कारण बनते है.

नकारात्मक भाव से बढ़ने वाली बीमारी

How to Avoid Spinal Cord Disease?

आज की भागदौड़, तनाव और प्रतिस्पर्धा से भरी लाइफ में स्ट्रेस काफी ज्यादा मात्रा में बढ़ गया है. नौकरी हो या व्यवसाय हर जगह पर आज हमें तनाव से गुजरना पड़ता है.

इसके चलते हम ज्यादा विचार करने लगते है. इस स्थिति में हमेशा हम पर एक तनाव रहता है. साथ ही भविष्य की चिंता भी रहती है. इन सभी के चलते शरीर के मज्जा तंत्रिकाओं पर दबाव बढ़ता है और रीढ़ की बीमारी शुरु होती है.

मैकेनिकल पीठ दर्द की समस्या


सुबह उठने से रात के सोते समयतक हम दिन भर में विभिन्न तरह के काम करते है. साथ ही सफर भी करते है. लेकिन शरीर की इन क्रियाएं करते समय हम तकनीकी दृष्टि से शरीर की हलचल नहीं करते.

इसके चलते हमारे रीढ़ की हड्डियों में मौजूद पैच में बदलाव होते है. रीढ़ की असहज हलचल से उसकी बीमारी शुरुआत होती है. रीढ़ की हड्डी में मौजूद पैच, गद्दी, स्पॉन्डील, आगे-पीछे, उपर-नीचे सरकते रहते है, जिससे पीठ में दर्द होता है.

मर्म चिकित्सा है बेहतरीन इलाज

प्राचीन आयुर्वेद में मर्मचिकित्सा का महत्व बताया गया है. यह चिकित्सा रीढ़ की हड्डी की बीमारियों में काफी कारगर साबित होती है.

मर्म चिकित्सा में शरीर में मौजूद मज्जा तंत्रिकाओं और धमनियों पर इलाज कर इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है. साथ ही पंचकर्म कर शरीर में मौजूद सभी दोषों को निकाल कर रीढ़ की ताकत को बढ़ाया जा सकता है. मांसपेशियों तथा हड्डियों में मजबुती लाकर रीढ़ की हड्डी की बीमारी दूर की जा सकती है. इसके संदर्भ में विभिन्न देशों में विभिन्न तरह के इलाज मौजूद है.

डॉ. भंडारी का कारगर इलाज

डॉ. भंडारी स्पाईन टेक्निक क्लिनिक में रीढ़ की बीमारियों के संदर्भ में आधुनिक और प्राचीन इलाज प्रणालि का संगम करते हुे बेहतरीन इलाज किया जाता है. आज तक इस क्लिनिक में बड़ी संख्या में जिन मरिजों को डॉक्टरों ने सर्जरी की सलाह दी थी, उनकी बीमारी बगैर किसी सर्जरी के ठीक की गई है. आयुर्वेदिक दवाईयां, स्पाईन पंचकर्म, स्पाईन योगा बैच से इन बीमारियों को पूरी तरह में डॉ. विराज भंडारी के उपचारों को काफी हद तक प्रभावी पाया जा चुका हैं.

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें

डॉ. विराज भंडारी

Shop no 2, ganapati, Shubhlabh Residency,
715, Guruvar peth, opposite Khadakmal,
near Swargate, Pune, Maharashtra 411002

Mobile: 090670 68153
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1 comment :

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