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Plant Stemcell Therapy: a unique treatment to cure incurable diseases (Hindi)

प्लान्ट स्टेमसेल थेरेपी: लाइलाज बीमारीयों को पूरी तरह ठीक करने का अनोखा इलाज



डॉ. खंडू पाठक द्वारा किया गया महत्वपूर्ण अनुसंधान  

औषधि वनस्पतियों की पेशियों में मौजूद केमिकल का मनुष्य के शरीर में लाइलाज बीमारी या व्यंगता उत्पन्न करने वाली पेशियों के साथ संयोग कराते हुए घातक पेशियों को नष्ट करने और जो स्वस्थ पेशियां है उनका संवर्धन कराते हुए गंभीर से गंभीर बीमारी या दिव्यांगता से छुटकारा दिलाने का काफी अनोखा और नायाब अनुसंधान डॉ. के. वी. पाठक द्वारा किया गया है.

गुरु आयुर्वेद रिसर्च सेंटर एवं डॉ. खंडु वी. पाठक मेडिकल फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. के. वी. पाठक ने इस अनोखी तकनीक के साथ आज तक उन्होंने हजारो मरिजों का सफल तरीके से इलाज कराया है.




मेडिकल साइन्स के लिए एक मिसाल तथा चैलेंज बन चुके इस तकनीक की खोज डॉ. पाठक ने पूरी तरह से अपने बलबुते पर की है. उनकी यह तकनीक इतनी कारगर साबित हो रही है, इस तकनीक पर देश के स्वास्थ्य के संबंध में संचालित होने वाले आयुष मंत्रालय को भी इसका संज्ञान लेना पड़ा.

भारत सरकार इस तकनीक को एक मोडेल की तरह पूरे देश में प्रचारित करना चाहती है. आईए इस नायाब तकनीक की जानकारी हम पाठकों को दे रहे डॉ. पाठक के ही शब्दों में....

कैसे काम करती है यह तकनीक?

चूंकि प्रकृति ने हमें स्वस्थ रहने के लिए प्रचूर मात्रा में वनस्पतियों का निर्माण किया है. लेकिन पिछली कुछ सदियों में हमारी यह प्राकृतिक चिकित्सा तकनीक जिसे हम आयुर्वेद के नाम से जानते है. यह काफी पीछे छूट गई थी. विदेशी तकनीक के अनुकरण के चलते हम आयुर्वेद की इस अहमियत को समझ ही नहीं पाए है.

लेकिन डॉ. के. वी. पाठक ने अनुसंधान करते समय पाया कि, कई सारी ऐसी वनस्पति आज पृथ्वी पर मौजूद है, जिन वनस्पतियों के पेशी में मौजूद केमिकल का मनुष्य के शरीर में मौजूद विकृत पेशियों के साथ संयोग कराते हुए उनका कैरेक्टर रेगुलराईज्ड किया जाता है. क्योंकि जो पेशियां रेगुलराईज्ड नहीं होती, उनमें एक विकृतता होती है, जोकि हमारे शरीर में छोटी से लेकर गंभीर बीमारियां फैलती है तथा कई बार इनसे शरीर में कोई व्यंग या दिव्यांगता भी आ जाती है.

लेकिन अगर सही तरीके से वनस्पति की पेशियों में मौजूद केमिकल का ह्युमन बॉड़ी की पेशियों के साथ इस्तेमाल किया गया तो उस प्रक्रिया में विकृत पेशियों की वृद्धि थम जाती है और प्राकृतिक पेशियों का तेजी से बढ़ना शुरू होता है. इस पूरी प्रक्रिया के चलते कैन्सर से लेकर विभिन्न तरह की बीमारियों का सफल इलाज होता है. इतना ही नहीं किसी व्यक्ति के शरीर में कोई व्यंग या दिव्यांगता हों, उसे भी काफी हद तक कम किया जा सकता है.

डॉ. पाठक ने इस थेरेपी पर 2002 से अनुसंधान शुरू किया. इस अनुसंधान के उन्हें चौंकाने वाले नतीजे मिलने लगे और लोगों को स्वस्थ जीवन की अनुभूति होने लगी.

क्या है प्लान्ट स्टेमसेल थेरेपी?

वेद और आयुर्वेद में शरीर में उत्पन्न होने वाली सप्त धातुओं की निर्मिती जानकारी दी गई है. हम जब खाना खाते है, तो उससे हमारे शरीर में इन सप्त धातुओं की निर्मिती होती है. आहार का सबसे पहला रूपांतरण रस में होता है. बाद में वह रक्त में, तत्पश्चात मांस में, इसके बाद मेद और हड्डियों में रूपांतरण होता है. सबसे आखिर में अन्न का रूपांतरण मज्जा में होता है, जिसे हम ‘बोनमैरो’ कहते है.

बोनमैरो का मतलब है हमारे खून के घटक जिसे हम आरबीसी, डब्ल्यूबीसी, प्लेटलेट्स आणि स्टेमसेल कहते है इसका स्टोअरेज होता है. मॉडर्न स्टेमशेल थेरेपी में स्वस्थ व्यक्ति के शरीर से बोनमैरो निकाल कर उसे इंजेक्शन के माध्यम से जरुरतमंद मरीज की रीढ़ की हड्डी में इंजेक्ट किया जाता है.

इस प्रक्रिया के चलते किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त मरीज का इलाज किया जाता है. विदेशों में चल रही इस तकनीक से कैन्सर जैसी गंभीर बीमारी को ठिक कराने का काम किया जाता है. लेकिन डॉ. पाठक ने इस पर और भी गहन तरीके से अध्ययन और अनुसंधान कर उसे आयुर्वेद में लाया और प्लान्ट स्टेमसेल थेरेपी नाम से एक नयी तकनीक विकसित की. इस प्लान्ट स्ट स्टेमसेल थेरेपी की प्रक्रिया में डॉ. पाठक यही बोनमैरो इंजेक्शन के माध्यम से नहीं तो ओरल थेरेपी से कैसे दिया जा सकता है, शरीर के अंदर कैसे कैरी किया जा सकता है और कैसा इम्प्लान्ट किया जा सकता है इस पर अनुसंधान किया.

इस थेरेपी के माध्यम से आज तक सेरेब्रल पाल्सी, कैन्सर, सिकलसेल,  एनीमिया, मस्क्युलर डिस्ट्रॉप्सी, ब्रेन एट्रोपी पर इलाज किया. इस थेरेपी के काफी चौंकाने वाले रिजल्ट सामने आए. इन बीमारियों के करीब-करीब 100 प्रतिशत मरीज पूरी तरह से स्वस्थ होने लगे.

कैन्सर पर भी असरदार है प्लान्ट स्टेमसेल थेरेपी

इस समय पूरी दुनिया में कैन्सर की बीमारी काफी घातक मानी जाती है. कैन्सर का केवल नाम सुनकर ही लोग सीहर उठते है. लेकिन डॉ. पाठक बताते है कि, अब कैन्सर से डरने की जरुरत नहीं. उन्होंने प्लान्ट स्टेमसेल के माध्यम से बेहतरीन इलाज खोज निकाला है. उनके इस इलाज के चलते शरीर में उत्पन्न होने वाली गांठ और यह गांठ बनाने वाली शारीरिक स्थिति को बदल कर इसका सफल इलाज कराते है.

वे बताते है कि, कोई भी व्यक्ति अगर उसके शरीर में किसी तरह की गांठ है तो कैन्सरपूर्व निदान करवा लें, क्योंकि इस तरह की गांठ पर होने वाली अनदेखी बाद में गंभीर कैन्सर में तब्दील हो सकती है. यह इलाज की पद्धति काफी आसान, सुरक्षीत और कम खर्च वाली है. इसलिए इसके माध्यम से अपना इलाज करें, ऐसी सलाह डॉ. पाठक देते है.

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