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Why did Pakistan Fail to Eradicate Polio? (Hindi)

पोलियो उन्मूलन में पाकिस्तान क्यों नाकाम रहा?


Image courtesy: National Geographics

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और नाइजीरिया दुनिया के एकमात्र ऐसे देश हैं जहाँ पोलियो अभी तक खत्म नहीं हुआ हैं. अफगानिस्तान और पाकिस्तान यह दोनों इस्लामिक शासन वाले देश हैं, और निजेरिया की आबादी 50% से ज्यादा मुस्लिम हैं. क्या यह केवल योगायोग हैं?

जहां WHO नाइजीरिया को पोलियो मुक्त घोषित करने की कगार पर है, वहीं अफगानिस्तान और पाकिस्तान 2018 के बाद से नए मामले उभरकर आने से इन प्रयासों को झटका लगा हैं.

वर्ष 2019 में पाकिस्तान में पोलियो मरीजों की संख्या 117 दर्ज की गयी, जो बीते 5 साल का एक रिकॉर्ड हैं.
यह बीमारी अफ़ग़ानिस्तान पाकिस्तान के सीमावर्ती प्रदेशों में अभी भी  फैली है, या इलाका कई सालो से इस्लामी आतंकवादियों के नियंत्रण में है. वर्ष 2019 में, इस क्षेत्र से 83 नए मामले सामने आने से पोलियो का डर अभी भी बना हुआ हैं.

2014 में पोलियो के मामले 306 दर्ज किये गए थे, उसके बाद 2015 में यह संख्या गिरकर 54 हो गयी थी. 3 वर्षों में  यह संख्या प्रतिवर्ष 20 या उससे कम हो गई थी. लेकिन इस वर्ष अचानक बढ़ोतरी होने से  इसे गंभीरता से लेना लाजमी हो गया.

पाकिस्तान में विशेषतः अफगानिस्तान सीमावर्ती इलाके में तालिबान का कब्जा हैं. इस परिसर में पोलियो ड्राप देने वाले कार्यकर्ता और स्थानीय कट्टर दहशतगर्दों का संघर्ष कोई नया नहीं हैं. आज तक पोलियो ड्राप देने वाले कई कार्यकर्ताओं की हत्या पाकिस्तान कट्टरपंथियों द्वारा की गयी हैं.

हाल ही में 18 दिसंबर को पाकिस्तान में अज्ञात बंदूकधारियों ने पोलियो पोलियो वैक्सीन देने वाले कार्यकर्ताओं की रखवाली करने वाले दो पुलिस अधिकारियों को गोलियों से भून डाला था. इस दौरान पाकिस्तान में पोलियो टीकाकरण मुहीम चल रही थी.

सरकार और कट्टरपंथियों के संघर्ष के कारण?

अफगानिस्तान और पाकिस्तान ने पिछले साल रिपोर्ट किए गए पोलियो के मामलों में एक वृद्धि देखी, जिसमें कहा गया है कि इस्लामिक आतंकवादी और गलत धारणा जारी करने वाले कट्टर मुस्लिम सोच इनकी वजह के कारण यह परिसर पोलियो के खतरे को बढ़ाता हैं.

2000 के दशक की शुरुआत में, पाकिस्तानी टीकाकरण कार्यकर्ता अत्यधिक संक्रमित क्षेत्रों में पोलियो वायरस को खत्म करने में उल्लेखनीय प्रगति कर रहे थे जिसमें सीमावर्ती FATA  (फेडेरली प्रशासित जनजातीय क्षेत्र), खैबर पख्तूनख्वा, पेशावर और पड़ोसी इलाके शामिल हैं.



2011 में, यू.एस. सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (CIA) ने पाकिस्तानी डॉक्टर शकील अफरीदी और स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ मिलकर ऐबटाबाद में ओसामा बिन लादेन के स्थान की पुष्टि करने के लिए एक नकली टीकाकरण अभियान चलाया था.

ऑपरेशन नेप्च्यून स्पीयर (जिसके तहत ओसामा का खात्मा किया गया), से पहले बिन लादेन के ठिकाने पर और वहां उसके साथ रह रहे बाकी लोगों की जानकारी हासिल करने के लिए इन लोगों द्वारा मदद ली गयी थी. इस मिशन में सीआईए का मुख्य लक्ष्य ओसामा बिन लादेन के बच्चों के डीएनए नमूनों को इकट्ठा करना था, जिसमें स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों की मदद लेकर हेपेटाइटिस के टीकाकरण के नाम पर बच्चों के रक्त के नमूने जमा किये गए थे. इसी से पुष्टि की गयी थी की वहा ओसामा अपने परिवार के साथ रहता हैं.

उसके बाद सीआईए के नकली टीकाकरण अभियान का पाकिस्तान के उत्तर पश्चिम सीमावर्ती इलाकों में गंभीर प्रभाव दिखाई दिया. तालिबान प्रभावित इलाकों में पोलियो डोज़ पिलाने की मुहीम को विरोध बढ़ गया. 2012 से, पाकिस्तान में कम से कम 70 पोलियो कार्यकर्ता कट्टरपंथी द्वारा मारे जा चुके हैं.

तालिबान एवं कट्टरपंथी यह दावा करते हैं कि, टीकाकरण अभियान खुफिया जानकारी एकत्र करने का एक माध्यम हैं. जिससे 2011 के बाद पोलियो के मामलों में रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गयी.

केवल सीमावर्ती इलाकों में ही नहीं पूरे पाकिस्तान में कट्टरपंथी मुस्लिमों ने पोलियो के खिलाफ मुहीम चलायी.

देखें यह विडिओ.



अफगानिस्तान में, अधिकारियों का कहना है कि तालिबान द्वारा लक्ष्य किए जाने के डर से माता-पिता ने अपने बच्चों का टीकाकरण करने से इनकार कर दिया हैं. तालिबान शासित अफगानिस्तान में भी चिकित्सा टीमों को खतरे के रूप में देखा जाता हैं.

अब भला ऊपर वीडियो वाले मौलाना के घर की जासूसी कर किसे क्या मिलने वाला हैं? कही चोर के दाढ़ी में तिनके वाली कहानी तो यहाँ नहीं दोहराई जा रही?

अफगान स्वास्थ्य मंत्रालय के एक पोलियो उन्मूलन प्रतिनिधि मानते हैं कि, घर-घर टीकाकरण के लिए तालिबान के विरोध का एक कारण यही रहा की टीकाकरण करने आये लोग उनकी जासूसी कहते हैं.

जैसे की आप जानते हैं, पोलियो एक घातक संक्रामक वायरल बीमारी है. रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र कहता है कि वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है और किसी व्यक्ति की रीढ़ की हड्डी को संक्रमित कर सकता है, जिससे लकवा हो सकता हैं.

मौजूदा आंकड़े 2019 में वाइल्ड पोलियो वायरस (डब्ल्यूपीवी 1) के मामलों की संख्या पाकिस्तान में 137 और अफगानिस्तान में 28, 2018 के बाद से पाकिस्तान में 12 और अफगानिस्तान में 21 मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गयी हैं.

अफगान और पाकिस्तानी अधिकारियों का कहना है कि सामने आये मामलों में से अधिकांश मुख्य रूप से पश्तून बहुल क्षेत्रों आता हैं. कई वर्षों से, इस क्षेत्र में इस्लामिक आतंकवादियों द्वारा पोलियो टीकाकरण टीमों को लक्ष्य किया जा रहा हैं. जबकि 2019 में अफगानिस्तान में कोई घटना नहीं हुई है, 2012 के बाद से सीमा पर पाकिस्तान में कई पोलियो वर्कर्स की मौत हो गई थी, जो संख्या बढ़कर अब 92 हो गई.

आतंकवादी धमकी के अलावा, पोलियो वर्कर्स की शिकायत है कि उन्हें उन माता-पिता से भी दुश्मनी का सामना करना पड़ता है जो अपने बच्चों को टीका लगाने से मना करते हैं.

बलूचिस्तान के क्वेटा में पोलियो कर्मचारियों को माता-पिता द्वारा अपने बच्चों पर नकली पोलियो मार्कर लगाने के लिए मजबूर किया जाता है जिन्हें टीका नहीं लगाया गया था. जो कार्यकर्ता ऐसा करने से मना करते हैं उन्हें हिंसा की धमकी दी जाती हैं. कई मातापिता के दबाव के चलते पोलियो वर्कर्स बच्चों के उंगलियों पर मार्कर लगा देते हैं.

गलत धारणाओं का बाजार

पोलियो अभियान के कार्यकर्ताओं का कहना है कि कई माता-पिता इस्लामिक चरमपंथी समूहों द्वारा पोलियो-विरोधी प्रचार का शिकार होते हैं, जो दावा करते हैं कि एंटी-वायरस ड्रॉप मुस्लिमों के बीच बांझपन पैदा करने के लिए पश्चिमी देशों द्वारा चली हुयी एक चाल हैं.

पाकिस्तान एवं अफगानिस्तान के कट्टरपंथी वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन द्वारा मुफ्त में मिलने वाली 90% पोलियो वैक्सीन के पीछे भी भ्रम फैलाते हैं. वह मानते हैं की अमरीका या पश्चिमी देश उनके लिए पोलियो का खतरा ना हो इसलिए मुफ्त में पोलियो वैक्सीन देते हैं.  मगर वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन की मदद से पाकिस्तान से पोलियो ख़त्म होगा जिससे पाकिस्तान के आम जनता की ही भलाई हैं, ये इन्हे पता नहीं हैं या सत्य से मुंह फेर रहे हैं, यह तो वहीँ जाने.

माता-पिता जो अपने बच्चों को पोलियो टीकाकरण देने से इनकार करते हैं, उनका कहना हैं कि पोलियो की बूंदें  बांझ बना देती हैं.

कुछ लोग मानते हैं की पोलियो ड्रॉप्स सुअर की चर्बी से या अमेरिकियों के मूत्र से बना हैं. अन्य लोगों ने यह कहते हुए पोलियो ड्रॉप्स अपने बच्चों को पिलाने से मना कर दिया, कि यह एक पश्चिमी देशों का षड्यंत्र है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वैक्सीन और ओरल ड्रॉप्स मुख्य रूप से साबिन वैक्सीन के बीजों का उपयोग करके उत्पादित किए जाते हैं.

पेशावर के एक स्कूली छात्र ने गत वर्ष अप्रैल में एक वीडियो बनाया, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें दावा किया गया कि सरकार द्वारा पोलियो की दवाई पिलाने से बच्चों में बीमारी पैदा होती हैं. इस वीडियो के बाद, हजारों माता-पिता ने अपने बच्चों को टीका लगाने से मना कर दिया था. जिसकी पोल बाद में खुल गयी.



पोलियो के खिलाफ गन्दी सोच वाले चरमपंथी द्वारा इस कदर झूट फैलाया जाता हैं तो उसका खात्मा कैसे होगा?

कुछ अधिकारियों का मानना है कि स्थानीय समुदाय भी सरकार के साथ उनकी शिकायतों को सुनने के लिए पोलियो उन्मूलन अभियानों का उपयोग सौदेबाजी के रूप में करते हैं.

बलूचिस्तान में अधिकारियों ने स्थानिक क्षेत्रों में पोलियो डोज़ पिलाने के बदले अधिक सरकारी सेवाओं की मांग रखी.

कई लोग पाकिस्तानी सरकार पर समुदाय की बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल की जरूरतों की उपेक्षा करने का आरोप लगाते हैं. और इन सुविधाओं के बदले में ही पोलियो डोज पिलाने की शर्त रखते हैं. यहां अस्पतालों में डॉक्टर नहीं हैं, सरकार पोलियो उन्मूलन के बारे में चिंतित है, लेकिन वे हमारी बुनियादी स्वास्थ्य आवश्यकताओं की परवाह नहीं करते हैं ऐसा भी कई लोग मानते हैं.

अफगानिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, लड़ाईग्रस्त क्षेत्रों में जहां स्कूल बंद हैं और जागरूकता का स्तर कम है, वहा पोलियो के टीके के महत्व के बारे में नहीं जानते हैं.

अफगान स्वास्थ्य अधिकारियों का मानना हैं कि, धार्मिक विद्वान जागरूकता के मुद्दे के साथ एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं और स्थानीय इमामों से अपने धर्मोपदेश के दौरान पोलियो टीकाकरण के महत्व के बारे में बात करने के लिए कहा है. इसका मतलब यह भी निकाला जा सकता हैं कि, धार्मिक विद्वानों द्वारा आज तक इस मुहीम की ओर शक की नजर से ही देखा गया हैं.


ऐसे  माना जा सकता हैं की हर बार परमाणु हमले की बात करने वाले पाकिस्तान के पास उसके अलावा अब पोलियो हमले से भी दुनिया को बर्बाद करने की क्षमता हैं?

ज़रा सोचे.... आज पाकिस्तान और अफगानिस्तान यह दोनों देश ही पूरी दुनिया में पोलियो से बाधित हैं. क्यों? केवल धार्मिक कट्टरता की वजह से. 
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