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Biography of Manjoor Pashtin: The Leader Who Defeating the Intentions of the Pakistan Military Sponsored Terrorism (Hindi)

मंजूर पश्तीन: दहशतगर्दी को प्रायोजित करनेवाली पाकिस्तान मिलिट्री के इरादों को पस्त करने वाला नेता




पाकिस्तान द्वारा पश्तून तहफुज मूवमेंट (PTM) को अफगानिस्तान और भारत की ख़ुफ़िया एजेंसियों द्वारा मंज़ूर पश्तीन को फंड प्राप्त करने के पाकिस्तान के मिलिट्री द्वारा लगाए गए आरोपों के जवाब में, मई 2019 में जवाब देते हुए मंजूर पश्तीन ने पाकिस्तानी सेना द्वारा वॉर ऑन टेरर को एक प्रॉफिटेबल बिज़नेस में परिवर्तित करने का आरोप लगाया था. पाकिस्तानी सेना को बाहरी देशों से आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के लिए जो फण्ड मिलता हैं उसमें से 98% फण्ड पाकिस्तानी सेना के बड़े जनरल्स मिल बांटकर खा जाते हैं.

उन्होंने कुछ अंतर्राष्ट्रीय चॅनेल्स के माध्यम से यह भी आरोप लगाया की भारत और अफगानिस्तान द्वारा फण्ड प्राप्त करने का भ्रम फैलाकर पाकिस्तान की सेना पश्तून तहफ्फुज मूवमेंट के बारे में लोगों के बीच भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रही हैं.

इस समय बोलते हुए उन्होंने आगे कहा था कि, "ये बेबुनियाद आरोप हैं कि हम विदेशी खुफिया एजेंसियों से धन प्राप्त करते हैं.  वे एक भी सबूत नहीं दे सकते हैं. एक अंग्रेजी कहावत हैं की आप उन्हें हक़ नहीं दे सकते तो  उनके प्रति भ्रम पैदा करे. बस यही बात पाकिस्तान की सेना कर रही हैं."

 उन्होंने आगे बोलते हुए आरोप लगाया था कि,  पाकिस्तानी सेना यहां (वजीरिस्तान, FATA और खैबर पख्तूनख्वा) आतंकवादियों को प्रशिक्षित करती हैं और फिर वहीँ आतंकवादी पाकिस्तान और दुनिया के अन्य देशों में हमले करते हैं. पीटीएम के एक बहोत बड़े आंदोलन के रूप में उभरने के साथ, पाकिस्तानी सेना की पोल अब खुल चुकी हैं और उनका दहशतगर्दी फैलाने का बिज़नेस अब वह पहले जैसी नहीं कर पाने की वजह से पीटीएम को बदनाम कर रही हैं.

सेना द्वारा चेतावनी दी गयी थी

ज्ञात रहें कि, 6 मई को मेजर जनरल आसिफ गफूर (तत्कालीन इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) के महानिदेशक और सेना के प्रवक्ता) ने पीटीएम पर अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय (एनडीएस) और भारत के अनुसंधान और विश्लेषण विंग (रॉ) से धन प्राप्त करने का आरोप लगाया था.



आसिफ गफूर ने कहा था कि, पीटीएम वेबसाइट पर, उन्हें एक संख्या मिली है जो दुनिया भर में पश्तूनों से एकत्र किए गए धन की राशि बताती हैं. लेकिन हमें बताएं कि आपको अपना अभियान चलाने के लिए एनडीएस [अफगानिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी] से कितना पैसा मिला? RAW [भारत की रिसर्च एंड एनालिसिस विंग] ने आपको इस्लामाबाद में पहले धरने के लिए कितना पैसा दिया था.

हाल ही में आसिफ गफूर को अधिक मात्रा में दारू पीकर ट्विटर पर उलटे-सीधे ट्वीट करने के आरोप में पाकिस्तान सेना ने पद से हटा दिया हैं.

इस पर जवाब देते हुए मंजूर पश्तीन ने कहा था की पाकिस्तानी सेना पीटीएम को समाप्त करना चाहती हैं ताकि वे पश्तून जनता को और वजीरिस्तान जैसे इलाकों में दहशतगर्दों की फैक्ट्री चालू रख सके और अपने ही देश में आतंकवादी हमले चालू रख सके. फिर दुनिया के सामने रोता फिरे की खुद पाकिस्तान ही दहशतगर्दी का पीड़ित हैं, जिससे यह नापाक सेना अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से इसके धन प्राप्त कर सके. ऐसे ही रोने धोने से पकिस्तान की नापाक सेना को अब तक 33 अरब डॉलर मिल चुके हैं. और आरोप लग रहे हैं पीटीएम पर की हम बाहरी दुनिया से मदद लेते हैं.

पाकिस्तान को 2002 के बाद से अमेरिकी सहायता में 33 बिलियन डॉलर से अधिक का सहयोग मिला है, जिसमें गठबंधन सहायता कोष (सीएसएफ) में 14 बिलियन डॉलर से अधिक शामिल है, जो कि अमेरिका के नेतृत्व वाले काउंटर-इनसर्जेंसी जो अमेरिकी रक्षा विभाग द्वारा जारी एक कार्यक्रम हैं.

 मंजूर पश्तीन की सोमवार 27 जनवरी को की गयी गिरफ्तारी के लिए पाकिस्तानी सेना की दहशतगर्दी की फैक्ट्री की पोलखोल ही एकलौता कारण हैं. दुनिया के सामने पाकिस्तान सेना द्वारा किये जा रहे आतंकवादियों की फैक्ट्री का खुलासा ना हो इसके लिए पाकिस्तान इस्टैब्लिशमेंट मंजूर पश्तीन जैसे लोगों की आवाज दबाने की कोशिश में 1971 से लगी हैं.

जिसमें अलगाववादी मोहाजिर नेता अल्ताफ हुसैन, जिए सिंध मुत्तहिदा महाज  (Jeay Sindh Muttahida Mahaz) के नेता शफी मोहम्मद बुरफात, बलोच नेता नवाब अकबर बुगती के पोते ब्रह्मादाग बुगती यह सारे नेता पकिस्तान से बाहर विदेशों में रह रहे हैं.

गुलालाई इस्माईल

अभी फिलहाल पश्तून लोगों के लिए आवाज उठाने वाली मानवाधिकार कार्यकर्ता  गुललाई इस्माइल को भी चोरी छुपे पाकिस्तान से भागकर अमेरिका में शरण लेनी शरण लेनी पड़ी थी.

ऐसे में जो नेता पाकिस्तान में रहकर अपनी आवाज उठाते हैं उनकी जान पर बनती हैं ऐसे भी कई उदहारण दे सकते हैं.

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